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रविवार, 4 मार्च 2012

जिंदगी की राह में.....!!!!



जिंदगी की राह में ,थोड़ी  परेशान हो गई हूँ ।
चलती  हुई जिंदगी में, पानी की धार हो गई हूँ ।।


मंजिल तो पता है, पर रास्ते से अंजान हो गई हूँ ।
जो भी राह मिली , उसी पर  ढुलकती चली जा रही  हूँ   ।।


जितने भी  मिले राह में गढ़े ,सबको भरती चली गई हूँ ।
पर अब और कितने गढ़े मिलेंगे? यह सोच थोड़ी  घबडा गई हूँ ।।
  
आशाओं  की सोपान पर , बस चढ़ती  जा रही हूँ ।
कभी तो पहुंचुंगी  मंजिल पर  ,यह सोच ,बहती जा रही हूँ ।।


जिंदगी की राह में ,थोड़ी  परेशान हो गई हूँ ।
चलती  हुई जिंदगी में, पानी की धार हो गई हूँ ।।


8 टिप्पणियाँ:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया


सादर

Anupama Tripathi ने कहा…

sakaratmak bhav ...manzil zaroor milegi ...!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

परेशान हो तो अपनों की पहचान होगी
जितने गड्ढे भरे उतना अनुभव ... परेशानी से हटकर खुद पर नाज करो और फिर कदम उठाओ, दुनिया नाज करेगी

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आशाओं की सोपान पर , बस चढ़ती जा रही हूँ ।
कभी तो पहुंचुंगी मंजिल पर ,यह सोच ,बहती जा रही हूँ ...

जीवन ऐसे ही चलता रहगे ... आशाओं का साथ बना रहे तो मंजिल आसान हो जाती है ...

mridula pradhan ने कहा…

bahut achchi lagi......

सदा ने कहा…

जिंदगी की राह में ,थोड़ी परेशान हो गई हूँ ।
चलती हुई जिंदगी में, पानी की धार हो गई हूँ ।।
बहुत ही अनुपम भाव संयोजन ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

jindagi me pareshani aati rahti hai.......
behtareen prastuti........

Nirantar ने कहा…

पर उम्मीद की किरण
अब भी बाकी है
सांस
अब भी चल रही हैं
जब तक रहेगी जान
में जान
हार नहीं मानूंगा
मोहब्बत के खातिर
लड़ता रहूँगा

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