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शनिवार, 14 दिसंबर 2013

पथिक की तलाश में ....!!!!

एक पंछी उड़ी पथिक की तलाश में भटक रही थी बगिया बगिया देख पथिक का वह ठिकाना रुकी वहाँ ......
करने लगी रोज़ आना जाना एक दिन बगिया का मालिक आया देखा उसका रोज़ का आना जाना यह देख ,उसका मन ललचाया
उसने एक जाल बिछया पंछी सब समझ रही थी फिर भी पथिक की आश में करती रही वह आना जाना
एक दीन ऐसा जाल फेका पंछी हो गई लहू लूहान दामन समेट भागी वो भटक रही है .... देख रही है तेरी आश ओ पथिक.... बचा ले अब मेरी लाज !!!!