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सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

नज़रिया ....!!!



       जब हमारा नजरिया सही हो ,तब हमें अहसास होता है की हम सब हीरों की खानों पर चल रहे है जो  अक्सर हमारे पैरो के निचे होते है ! हमें इसके लिए कही जाने की जरूरत नहीं है ! जरूरत है तो सिर्फ इसे पहचानने की .... आज मै आपलोगों को एक कहानी  सुनाती हूँ { आप लोग भी यह कहानी कहीं  पढ़े या सुने जरूर होंगे }.....
     
               अफ्रीका  में एक एक खुश और संतुष्ट किसान रहा करता था ! वह खुश था क्योकि  वह संतुष्ट था ! और संतुष्ट था इसलिए क्योकि वह खुश था .....! एक दिन उसके पास एक ज्ञानी व्यक्ति आया ,जिसने उसे हीरो की अहमियत और उनकी ताकत के बारेमे बताया ,ज्ञानी व्यक्ति ने कहाँ अगर तुम्हारे पास अंगूठे के जितना भी हिरा हो तो तुम अपना एक शहर खरीद सकते हो ,और अगर तुम्हारे पास मुठी के बराबर का हिरा हो तो तुम शायद  अपने देश के ही मालिक बन सकते हो ...... ऐसी बातें बता कर वह ज्ञानी चला गया ! उस रात  किसान बिलकुल ही नहीं सो सका !वह नाखुश  और असंतुष्ट हो गया था ! ....वह नाखुश था क्यों की वह असंतुष्ट था और असंतिष्ट था इसलिए वह नाखुश था ..!
          अगले दिन उसने अपने खेतों को बेचने का बंदोबस्त किया और हीरों की खोज में निकल पड़ा ..... पुरे अफ्रीका में वह घूमता रहा ,लेकिन कुछ न मिला सारे यूरोप का चक्कर लगाने के बाद भी उसकी खोज पूरी नहीं हुई ..! जब वह स्पेन पंहुचा तब तक वह भावनात्मक ,शारीरिक और आर्थिक कमी से टूट चूका था  ! उसका हिम्मत इतनी ज्यादा टूट गई थी की उसने बार्सिलोना नदी में कूद कर ख़ुदकुशी कर ली ...!!!
          उधर जिस व्यक्ति ने खेत ख़रीदे थे ,उसने नाहर के दुसरे किनारे पर सूरज की रोशनी जैसे ही एक पत्थर पर नजर पड़ी तो इन्द्रधनुष की तरह सात रंग जगमगा उठे ! उस वक्ती ने सोचा की यह पत्थर घर के बैठक में सजाने का काम आएगा और वह उसे उठा ले आया और घर में सजा दिया ! उसी दोपहर में ,वो ज्ञानी  व्यक्ति फिर वह आया ,उसकी नज़र उस जगमगाती पत्थर पर पड़ी ..तो उसने  पूछा की ,"क्या हाफिज वापस आ गया है ? तो नए मालिक ने जबाब दिया नहीं , लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे है ? तब गायनी व्यक्ति ने जबाब दिया ," वह सामने रखा पत्थर हिरा है " मै देखते ही पह्ता पहचान जाता   हूँ फिर नए मालिक ने कहाँ नहीं वह सिर्फ एक पत्थर है ,मैंने उसे नहर के पास से उठाया है चलिए मै आपको दिखता हूँ वहां ऐसे बहुत सारे पत्थर पड़े है !
             वे दोनों वह गए और पत्थर के नमूने उठा लाये और जाँच के लिए भेज दिए ! सचमुच में वो पत्थर हीरे ही थे ! उन्होंने पाया की उस खेत में दूर दूर तक हीरे दवे पड़े थे .....!!!

इस कहानी  से हम क्या सिखाते है ?
       
            जब लोग मौके को पहचान नहीं पाते है तो अवसर का खटखटाना उन्हें शोर लगता है .....एक मौका दुबारा नहीं खटखटाता ,दूसरा मौका अच्छा या बुरा हो सकता है , लेकिन वो नहीं होगा जो पहले था ... इसिलए सही समय पर सही फैसला  और सही नज़रिए को समझना बहुत अहमियत रखता है ....!!!!!