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सोमवार, 7 सितंबर 2009

तारे जमीन के ,,,

बिटिया की न्यू पोएम ..........




रात के अंधकार में ,
ये सुन्दर चाँद देखो ,
हर रात चाँद आता है ,
अलग-अलग वेश में ,
और...
तारे खिलते हँसते है जोश में,


इस तरह हम बच्चे भी है ,
तारे जमीन के ,
और चंदा हमारे माता -पिता,
तथा गुरु ज़हां के,
चाँद जहाँ तारे वहां ,
जहाँ माता-पिता-गुरु ,
हम बच्चे सारे वहां ,

जिस तरह चाँद तारे ,
चमके आसमान में सारे,
उसी तरह हम बच्चे भी चमके ,
पढ़ लिखकर बनके सबके दुलारे ,
आखिर हम बच्चे है तारे जमीन के ..........,

.......रक्षिता

9 टिप्पणियाँ:

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: ने कहा…

जै सिया राम

रश्मि प्रभा... ने कहा…

waah,bahut hi sundar rachna

शोभना चौरे ने कहा…

bhut pyari rachna

deep ने कहा…

bhut khooob.......di very nice....very nice...

deep ने कहा…

achchha lga aapke blog pr aana skun deta he aapke privaar se milna ..or bitiya ke vatan prem ..dekh kr keh sakte he ki yhi baat to ki sdiyon se kosis krta rha he jmaana fir bhi hasti mitti nhi he hmaari...

yhi sanskaar to hmaari taaqat he ...very sweets family..and thoughts..or allqute baba &bebyyyes..

Arora Pawan ने कहा…

rakshita,
bahut achha likha hai aapne sach mai bahut achha laga padh kar .......umada

vijay kumar sappatti ने कहा…

waah ji

padhkar bahut accha laga, bacche kitne acche aur sacche hote hai ...

bitiya ki ye kavita bahut sundar hai . mera abhinandan bache ko ..

regards
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com

Sonali ने कहा…

bahut sundar rachna...

shadab ने कहा…

bahut khub poem likhi hi aapki beti ne. i really impressed

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