ओ मन मोहना !,
भोर हुई !
फिर क्यों बंद है तेरे द्वार ,
जिस में सपने मेरे हजार
तुम नव किरणों के संग हो लो ,
तू अब अपना द्वार खोलो ,
ओ मन मोहना !
मै हूँ तेरी मोहनी
सुन रे ! अपने प्रेम को
मै ही हूँ , तेरी रागिनी
फिर क्यों ?
भिगोये मेरे नयनों को ,
ओ मन मोहना !
भोर हुई !
फिर क्यों बंद है तेरे द्वार ,
जिसमे मेरे सपने हजार !!!!!!!
भोर हुई !
फिर क्यों बंद है तेरे द्वार ,
जिस में सपने मेरे हजार
तुम नव किरणों के संग हो लो ,
तू अब अपना द्वार खोलो ,
ओ मन मोहना !
मै हूँ तेरी मोहनी
सुन रे ! अपने प्रेम को
मै ही हूँ , तेरी रागिनी
फिर क्यों ?
भिगोये मेरे नयनों को ,
ओ मन मोहना !
भोर हुई !
फिर क्यों बंद है तेरे द्वार ,
जिसमे मेरे सपने हजार !!!!!!!