कुछ अनुभव वक्त के साथ ही होते है ....
आज मेरा बेटा का 12th का exm ख़तम हुआ ....
घर आते ही मैंने बेटे को बोली ..
चलो भगवान को प्रणाम करते है ...
हम दोनों मंदिर के पास पहुचे , ..
हाथ जोड़ भगवान को प्रणाम कर रही थी
और मेरे आँखों से अश्रु की धार ऐसे बहने लगा .....
मानो ,बोल रहा हो आज मुझे नहीं रुकना बहने दो
तब याद आया की हमलोग को
खुशियाँ मिलने पर बाबूजी क्यों रोते थे ...
उस समय समझ नहीं पाती थी ...
आज मैं बाबूजी के जगह हूँ ...
शायद ! इसे ही मात्री प्रेम कहते है ..!!!