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सोमवार, 26 मार्च 2012

मात्री प्रेम !!!


कुछ अनुभव वक्त के साथ ही होते  है .... 
आज मेरा बेटा का  12th का exm ख़तम हुआ ....
घर आते ही मैंने बेटे को बोली ..
चलो भगवान को प्रणाम  करते है ...
हम दोनों  मंदिर के पास पहुचे , ..
हाथ जोड़ भगवान को प्रणाम कर रही थी 
और मेरे आँखों  से अश्रु की धार ऐसे बहने लगा .....
मानो ,बोल रहा हो आज मुझे नहीं रुकना बहने दो 
तब याद आया की हमलोग को 
खुशियाँ मिलने पर बाबूजी क्यों रोते थे ... 
उस समय समझ नहीं पाती थी ...
आज मैं  बाबूजी के जगह हूँ  ...
शायद ! इसे ही मात्री प्रेम कहते है ..!!!

9 टिप्पणियाँ:

सदा ने कहा…

बिल्‍कुल सही कहा आपने ... भावनाओं का अनूठा संगम ..

रश्मि प्रभा... ने कहा…

ज़िन्दगी जब अपनी गोद से उतरकर बढ़ती है तो यूँ ही आंसू निकल आते हैं

दिगम्बर नासवा ने कहा…

हम कब अपने बुजुर्गों की जगह ले लेते हैं पता ही नहीं चलता ...
भावमय रचना ...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव.....

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

BAHUT KHOOBSOORAT PRASTUTI ...ABHAR.

S.N SHUKLA ने कहा…

ख़ूबसूरत भाव, सुन्दर रचना.

कृपया मेरी १५० वीं पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें , अपनी राय दें , आभारी होऊंगा .

Aditi Poonam ने कहा…

jeevan me bahut si baate anubhavonse hi samjh-
aati hai. aise hi likhti rahiye.-shubh-kamnayen

pls vsit my blg.--purvaai.blogspot.com

कलम की जुबा ने कहा…

bilkul sahi farmaya aap ne janab

कलम की जुबा ने कहा…

bilkul sahi farmaya aap ne janab

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