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बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

बसंत ऋतु आये ...!!!



हे री पाखी !
बसंत ऋतु आये
कैसे उन्हें बतलाये
वो है ऐसे बुद्धू,समझ न पाये !

मैं इतराती फिरू बावरी,
मद मस्त मादक सुगंध से भरी,
आलिंगन कर.....अब कैसे समझाये
बसंत ऋतु आये !

कंगन भी खनकाये,
पायल भी छंकाये,
पाती लिख भिजवाये
फिर भी वो समझ न पाये !

हे री पाखी !!
खिले सरसों के फूल,
बसंती हवा उड़ाए धुल,
सब देख हृदय में उठे शूल !

न कोयल की बोली,
न फागुन की होली,
कछु न सुहाये !
हे री पाखी! बसंत ऋतु आये !

अब कैसे करू इशारा,
तू ही लगे है मुझे प्यारा,
वो है ऐसे .......
न समझे कौनो इशारा !

हे री पाखी ! अब तो बैरन भई नींद,
व्याकुल हुए प्राण,
अब कौन सा छेडू तान !

हे री पाखी !
अब तू ही बता,
सब कर अब मनहारी
क्या मै करू... उन संग बलहारी.....???

साधना ::--

रविवार, 30 जनवरी 2011

क्या तुम्हे पता है .... ?


देखा तुझे तो ऐसा लगा
तुम से भी खूबसूरत
तुम्हारा अंदाज़ है !
कहते हो सम्भालो
कैसे सम्भालूँ मैं ,
अब ,तुम ही बता दो ?
इसी अदा पे तो मर-मिटी थी मैं
यही तो ,सदियों पुराना राज़ है..
क्या तुम्हे पता है .... ?

साधना ::---:

बुधवार, 26 जनवरी 2011

एक बात बोंलू!!!


एक बात बोंलू
अगर इज़ाजत हो तो...

जी

आज मुझे कुछ देना है
आँखें बंद कीजिये
.
;
मिला क्या ?

बुधवार, 19 जनवरी 2011

देखो न !!!!


देखो न !
धड़कने बढ रही है
सांसे तेज हो रही है
ऑंखें बंद हो रही है
मै शिथिल पड़ रही हूँ

ये कैसा डोर है
जो मुझ तक
तेरी हर आहट
को पहुंचा जाती है

ये कौन सा बंधन है
मै तो मुर्ख हूँ
तू तो ज्ञानी है
मुझे समझा दो न ..!!!

साधना ::--

सोमवार, 17 जनवरी 2011

एक चिट्ठी रश्मि दीदी के नाम !!!!



नमस्कार दी !!
दीदी मै आपकी ब्लॉग पे रोज़ आती हूँ !मुझे आपकी ब्लॉग एक"गीता"की सारांश जैसी दिखती है !कहते है न की हर समस्या का हल "गीता" में लिखा होता है !उसी तरह मुझे आपकी रचनायें दिखती है !
मुझे जब भी कोई परेशानी हुई है ,मै आपकी रचनायें पढ़ती हूँ और हमेशा मुझे अपने सवालों का जबाब मिल जाता है! मुझे हमेशा एक सकारात्मक शक्ति मिलती रही है आपकी रचना से !
दीदी, फिर आप सोचती होंगी की मै टिप्पणी क्यों नहीं देती हूँ ...मुझे ऐसा लगता है कि मै आपकी रचना की समीक्षा करू.... इतनी काबिल नहीं हूँ मै इसीलिए बिना कुछ लिखे वापस आ जाती हूँ ..दिल से आपको शुक्रिया कहती हूँ ..!!

आपकी छोटी बहन
साधना :::--

रविवार, 16 जनवरी 2011

हे कृष्ण !!!!


ये ख्वाब है
या हकीकत !
शब्द भी खामोश हो
छुप गए है कही
शायद !

उन्हें भी डर है
टूटने का
तेरी डांट से ,
अगर ये ख्वाब भी हो
तो भी मुझे छोड़ देना
ख्वाब में ...
जगाना नही

पूरी जिन्दगी ......
यूँही तेरे सजदे के
ख्वाब में ...
जीना चाहती हूँ ...!!!

--::साधना ::--

शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

बूझो तो जाने !!!!


एक चेहरा मुझे भाता है!
जो मेरे दिल पे
राज़ करता है!
जनवरी के महीने में
उनका जन्म होता है!
यूँ तो उनकी हर
चीज़ है आली,
पर गाल में पड़े
मुहासों के गड्ढे
वो मेरी, सबसे है प्यारी !!!!
--:: साधना ::--