ये ख्वाब है
या हकीकत !
शब्द भी खामोश हो
छुप गए है कही
शायद !
उन्हें भी डर है
टूटने का
तेरी डांट से ,
अगर ये ख्वाब भी हो
तो भी मुझे छोड़ देना
ख्वाब में ...
जगाना नही
पूरी जिन्दगी ......
यूँही तेरे सजदे के
ख्वाब में ...
जीना चाहती हूँ ...!!!
--::साधना ::--
2 टिप्पणियाँ:
पूरी जिन्दगी ......
यूँही तेरे सजदे के
ख्वाब में ...
जीना चाहती हूँ ...!!!
waah
bahut khoobsurat likhti hain aap
shubhkamnae
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