अति सुन्दर कलाम! नव लेखन को प्रणाम एवं बधाई! कृपया बसंत पर एक दोहा पढ़िए...... ============================== शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत। गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥ सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
शुभकामना है कि आपका ये प्रयास सफलता के नित नये कीर्तिमान स्थापित करे । धन्यवाद... आपका ब्लॉग अच्छा है |
आप मेरे ब्लाग पर भी पधारें व अपने अमूल्य सुझावों से मेरा मार्गदर्शऩ व उत्साहवर्द्धऩ करें, ऐसी कामना है । मेरे ब्लाग जो अभी आपके देखने में न आ पाये होंगे अतः उनका URL मैं नीचे दे रहा हूँ । जब भी आपको समय मिल सके आप यहाँ अवश्य विजीट करें- http://vangaydinesh.blogspot.com/ http://dineshsgccpl.blogspot.com/ http://pareekofindia.blogspot.com/ http://dineshpareek19.blogspot.com/ http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
17 टिप्पणियाँ:
bahut sundar
बेहतरीन ।
आकर्षक शीर्षक, मनमोहक ब्लॉग और प्रशंसनीय प्रस्तुति - बधाई
अति सुन्दर कलाम! नव लेखन को प्रणाम एवं बधाई!
कृपया बसंत पर एक दोहा पढ़िए......
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शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।
गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥
सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
अच्छी सुंदर रचना
बसंत पंचमी की शुभकामनाये
आपकी रचना वाकई तारीफ के काबिल है
इसी अदा पे तो मर-मिटी थी मैं
यही तो ,सदियों पुराना राज़ है..
क्या तुम्हे पता है .... ?
waah kya ada hai...badiya hai ji
Waah Sunder rachna......aur blog bhi bahut sunder hai
शुभकामना है कि आपका ये प्रयास सफलता के नित नये कीर्तिमान स्थापित करे । धन्यवाद...
आपका ब्लॉग अच्छा है |
आप मेरे ब्लाग पर भी पधारें व अपने अमूल्य सुझावों से मेरा मार्गदर्शऩ व उत्साहवर्द्धऩ करें, ऐसी कामना है । मेरे ब्लाग जो अभी आपके देखने में न आ पाये होंगे अतः उनका URL मैं नीचे दे रहा हूँ । जब भी आपको समय मिल सके आप यहाँ अवश्य विजीट करें-
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Bahoot Khoob Likhti Hai aap....
Bahoot Khoob Likhti Hai aap....
कल 14/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
वाह बहुत सुन्दर
बहुत खूब!
wah....very nicee lines...
बहुत खूब
behtarin...sambhalna muskil hai sadar badhayee aaur amantran ke sath
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