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बुधवार, 1 दिसंबर 2010

न जाने क्यों..!!!


तुमको जब जब देखी
खुदा नज़र आया !
आँखें जब भी बंद की
तेरा ही चेहरा नज़र आया !!

मेरी लिखी हर गीत पर
तू ही नज़र आया !
मेरी रूह को छूता हुआ भी
तू ही नज़र आया !!

मेरी मुस्कान की वज़ह में
भी तू ही नजर आया !
एक सुखद अहसास देने में
भी तू ही नज़र आया !!

जिंदगी की हर डगर पे बस तू
तू तू ही तू नज़र आया!
तुमको जब भी देखी न जाने क्यों?
तुम में ही खुदा नज़र आया!!
....साधना सिंह

2 टिप्पणियाँ:

IRA Pandey Dubey ने कहा…

tum mai hi khud najar aaya ,bahut achchhi line hai sadhana ,bahut achchhi hai tumhari kriti ,

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मन के भावों को बहुत खूबसूरती से लिखा है ....

मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया

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